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विधायक सरयू राय के नेतृत्व में स्वर्णरेखा नदी प्रदूषण समीक्षा अभियान हुआ शुरू

जमशेदपुर: दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के अभियान के तहत दूसरे पड़ाव में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय के नेतृत्व में स्वर्णरेखा नदी प्रदूषण समीक्षा अभियान, केतारी बगान चुटिया अवस्थित इक्कीस महादेव मंदिर के पूजा अर्चना से प्रारंभ हुआ। यह पवित्र स्थान हरमू और स्वर्णरेखा का संगम स्थल है। यहाँ के निवासियों ने अभियान दल को बताया कि राँची शहर का सारा जल-मल हरमू नदी के द्वारा सीधे स्वर्णरेखा में बिना उपचार किये हुए मिलता है, जिससे यहाँ नदी अत्यधिक प्रदूषित हो गई है। पूर्व में नगर विकास विभाग ने एक सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की थी, जो कभी भी कार्यशील नहीं रहा। ग्रामीणों ने बताया कि नदी के प्रदूषण के कारण उनका जीवन नारकीय होता जा रहा है तथा वे अनेक बीमारियों की चपेट में आ रहे है। मंदिर के पुजारी का कहना था कि आज से 30-40 वर्ष पूर्व नदी का जल इतना साफ था कि लोग इसका पानी भी पीते थे तथा सारा अनुष्ठान इसी पानी से होता था। स्थानीय पार्षद श्री सुरेश साहू का कहना था कि सरकार को यथाशीघ्र सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू करना चाहिए, ताकि नदी स्वच्छ रह सके।
इस अवसर पर राय ने कहा कि हम सभी प्रत्यक्ष तौर पर देख रहे है कि नदी में गंदगी, जल-मल का सीधे प्रवाह एवं बेतरतीब अतिक्रमण के कारण नदी का पानी दुर्गंध दे रहा है, पानी कोलतार की तरह काला दिखाई पड़ रहा है। नदी किनारे रहनेवाले किसान मजबूरी में इसी पानी से सिंचाई कर सब्जियाँ उगाते है, जो बाजारों में जाती है और उसे हम अपने दैनिक उपयोग में लाते है। उन्होंने कहा कि शहर के बीचों-बीच बहने वाले हरमू नदी पर से अतिक्रमण जब तक नहीं हटेगा तबतक स्थायी समाधान संभव नहीं है। अतिक्रमण करनेवालें चाहे जितने दबंग हो, शक्तिशाली वर्ग को हो, उनका सामाजिक बहिस्कार करना चाहिए, उन्हें जनशक्ति के दबाव से अतिक्रमण हटाने पर विवश करना होगा, इसके लिए सभी नागरिकों को एकजुट एवं जागरूक होना होगा।
उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र में नदियों के प्रदूषण होने का मुख्य कारण नगरीय प्रदूषण है, जो अधिक चिंताजनक है। इसे प्रदूषण को हटाने का कार्य बिना जनता के सहयोग से संभव नहीं है। इसके बाद अभियान दल जोरार बस्ती के तेतरी टोली अवस्थित छठघाट के समीप पहुँची, जहाँ काँटाटोली अंतर्गत विभिन्न बस्तियों से आनेवाला जल-मल, नाली का पानी नाला के माध्यम से स्वर्णरेखा में मिलती है। यहां भी अत्यधिक प्रदूषण देखा गया। यात्रा के अगला पड़ाव टाटीसिल्वे था, जहाँ उषा मार्टिन कारखाना है। इस कारखाने का अपशिष्ट जल नदी में गिरता हुआ देखा गया। पानी बिल्कुल ही रसायनयुक्त एवं गहरा भूरा रंग का था। उसके बाद यात्रा दल गेतलसूद डैम पहुँचा, डैम की पानी की स्थिति भी कमोबेस वैसी ही थी। यात्रा के अंतिम पड़ाव में मूरी जाकर स्थल का निरीक्षण, भ्रमण किया गया। प्रत्येक स्थानों से यात्रा दल में शामिल वैज्ञानिकों द्वारा जल, गाद एवं जलीय जीव-जन्तु के नमूने लिये गये। युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा कि स्वर्णरेखा नदी प्रदूषण अध्ययन यात्रा 24 मई से 27 मई तक चांडिल, जमशेदपुर होते हुए मुसाबनी तक जायेगी।
यात्रा दल में संयोजक डॉ. एम.के. जमुआर, रामानुज शेखर, गौतम देव, अंशुल शरण, आशीष शीतल मुंडा, अमेय विक्रमा, श्री सुधीर कुमार ‘समीर’, रितेश झा, विपिन कुमार सिंह, मुकेश कुमार, मुकेश सिंह, श्री राहुल मंुडा, दीपांकर कर्मकार, इम्तियाज खान, धर्मेंन्द्र तिवारी, आदि उपस्थित थे।

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