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मजाक बनकर रह गई है बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना

जमशेदपुर. बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना मजाक बनकर रह गई है। इसका खमियाजा यहां के आपजनों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने दर्जनों बार आंदोलन धरना प्रदर्शन किया। लेकिन सरकारी अधिकारियों के आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला। विदित हो कि सुबोध झा के नेतृत्व में बागबेड़ा एवं छोटा गोविंदपुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना को झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के चीफ इंजीनियर सुरेश प्रसाद अभियंता प्रमुख रघुनंदन शर्मा के आदेश पर लिखित आश्वासन दिए जाने के बाद पदयात्रा आंदोलन को स्थगित किया गया था। चीफ इंजीनियर सुरेश प्रसाद ने कहा था 3 महीने में काम को चालू कर दिया जाएगा और 2023 मैं पाइपलाइन से घर घर पानी सप्लाई कर दी जाएगी। आज डेढ़ महीना समाप्त हो गया और समय सीमा के अनुसार बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम चालू नहीं किया गया है। बागबेड़ा महानगर विकास समिति एवं संपूर्ण घाघीडीह विकास समिति के संरक्षक सह अध्यक्ष एवं जल आंदोलन के आंदोलनकारी सुबोध झा के अगुवाई में झारखंड हाईकोर्ट में झारखंड सरकार के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जाएगी। आंदोलनकारियों का एक जत्था झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अमृतलाल श्रीवास्तव से रांची हाई कोर्ट में मुलाकात कर बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना से जुड़े हुए सभी पेपर सुबोध झा ने उपलब्ध कराएं। भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई ग्रामीण जलापूर्ति योजना यथाशीघ्र शुरू नहीं किया जाता है तो जनहित याचिका दायर होगी । वकील से विचार-विमर्श कर समय सीमा के अनुसार याचिका दायर करने के लिए पेपर तैयार करने को कहें। आंदोलनकारी सुबोध झा ने कहा सरकार की तरफ से 237 करोड़ रुपिया बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए सुकृति है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग एवं कंपनी के कांटेक्ट के द्वारा पैसे का बंदरबांट कर दिया गया। आंदोलन के नेतृत्व करता सुबोध झा ने कहा 2005 से क्रमबद्ध बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना की मांग को लेकर बागबेड़ा महानगर विकास समिति ग्रामीणों के सहयोग से बड़े पैमाने पर आंदोलन कर योजना की स्वीकृति प्राप्त हुई। बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार और वर्ल्ड बैंक एवं जनता के एक परसेंट की भागीदारी के तहत 237 करोड़ 21 लाख रुपया प्राप्त हुए। जिसमें वर्ल्ड बैंक से 50% केंद्र सरकार से 33% राज्य सरकार से 16% एवं हम सभी जनता जनार्दन का 1% का योगदान इस योजना में दिया गया । इस प्रकार से समान जाति के लोगों से ₹450 रुपए एवं ऐसी एवं एसटी से ₹225 रुपए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के द्वारा पंचायत के मुखिया एवं ग्राम जल स्वच्छता समिति के माध्यम से जनता जनार्दन से रुपए वसूले गए हैं। 2015 में शिलान्यास हुआ 2018 तक घर-घर पानी देने का वादा हुआ और उस वक्त 450 रुपए एवं ₹225 रुपए करके जनता से वसूले गए करोड़ों रुपए । सुबोध झा ने कहा वसूले गए पैसे सुद समेत जनता को वापस किया जाए। 2,25,000 जनता बूंद बूंद पानी के लिए तरस रही है, आज 2022 हो गया जनता को कोई लाभ नहीं प्राप्त हुआ। सुबोध झा ने कहा बागबेड़ा महानगर विकास समिति की ओर से 413 बार अलग अलग तरीके से बड़े पैमाने पर आंदोलन किए गए। धरना ,प्रदर्शन, घेराव, आमरण अनशन, जिला मुख्यालय का घेराव, लोक सभा में वोट बहिष्कार, रेलवे के पंप हाउस को बंद करना ,मशाल जुलूस, हजारों लोगों का हस्ताक्षर युक्त मांग पत्र माननीय मुख्यमंत्री माननीय प्रधानमंत्री को दिए गए। दो बार राजभवन का घेराव 6 बार विधानसभा का घेराव एवं एक बार जमशेदपुर से रांची तक पदयात्रा 30 अगस्त को चालू हुआ और 4 सितंबर 2012 को रांची पहुंच विधानसभा घेराव किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा का आश्वासन प्राप्त हुआ। पुनः कई बार आंदोलन किए गए, झारखंड के विकास पुरुष पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बागबेड़ा ग्राम जलापूर्ति योजना की सुकृति दिए और 2015 में 18 अप्रैल को शिलान्यास कर कार्य का शुभारंभ भी किए। फिर गठबंधन की सरकार में योजना लटक गई, फिर कई बार धरना प्रदर्शन घेराव किया गया। बाध्य होकर सुबोध झा अध्यक्ष बागबेड़ा महानगर विकास समिति एवं संपूर्ण घाघीडीह विकास समिति के नेतृत्व में जमशेदपुर से दिल्ली पदयात्रा की घोषणा की गई और 21 मार्च को जमशेदपुर से 21 सदस्य टीम दिल्ली के लिए पदयात्रा कर रवाना हुए। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षक अभियंता कार्यपालक अभियंता जिला प्रशासन ने यात्रा स्थगित करने के लिए लिखित पर लिखित आश्वासन समय सीमा के अनुसार कार्य को चालू करने का दिए। समिति के सदस्यों ने इनके आश्वासन को नहीं माना और पदयात्रा जारी रखा। जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना की मांग को पद यात्रियों के समर्थन में उठाकर 2,25,000 जनता का सम्मान किए। झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख रघुनंदन शर्मा ने यथाशीघ्र कार्य का शुभारंभ होगा। इस योजना से जुड़े हुए सारे डाक्यूमेंट्स सुबोध झा को उपलब्ध कराया गया है। आप सभी जैसे कहेंगे उस प्रकार से इस योजना को धरातल पर उतारी जाएगी 3 महीना का समय मुझे दिया जाए। इस कार्य का शुभारंभ 3 महीने के अंदर कर दिया जाएगा। और बागबेड़ा बरोदा घाट नदी में 22 पाया का निर्माण दिसंबर महीने से शुरू करेंगे। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के चीफ इंजीनियर सुरेश प्रसाद, गुमला के अधीक्षक अभियंता शिशिर सोरेन एवं जिला प्रशासन पूरी टीम के साथ लिखित आश्वासन देते हुए पदयात्रा को समाप्त कराएं। डेढ़ महीने का समय समाप्त हो गया है ।सरकार के तरफ से ग्रामीण जलापूर्ति योजना को चालू करने के लिए किसी भी प्रकार का आदेश पेयजल एवं स्वच्छता विभाग या एजेंसी को नहीं है। और जो कांट्रेक्टर है वह अपना बोरा बिस्तर समेट कर वापस जा रहे है। यह जानकारी अधिकारियों ने दिया है। सुबोध झा ने कहा आंदोलनकारियों के साथ धोखा हुआ है। सरकार द्वारा लिखित आश्वासन दिए गए, 3 महीना के अंदर योजना को शुरू नहीं किया जाता है,तो हम सभी आंदोलनकारी सुबोध झा, छोट राय मुर्मू ,कृष्णा चंद पात्रो, ऋतु सिंह ,प्रभा हसदा, संतोष जायसवाल, रुपेश शर्मा झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका (पीआई एल) ग्रामीणों के सहयोग से दायर करेंगे। और झारखंड सरकार के विरोध में बड़े पैमाने पर आंदोलन के तहत बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारने की मांग को लेकर जमशेदपुर से दिल्ली तक पदयात्रा कर माननीय प्रधानमंत्री से गुहार लगाने के लिए रवाना होंगे।

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