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बागबेडा वृहद् जलापूर्ति योजना को जल्द पूरा करने की माँग को लेकर कुणाल षडंगी के नेतृत्व में राज्यपाल से मिला प्रतिनिधिमंडल

जमशेदपुर। बागबेड़ा, घाघीडीह,किताडीह,करणडीह,एवं परसुडीह समेत 21 पंचायत के 113 गांव के रेलवे क्षेत्र की 33 बस्तियों में 250 लाख लोगों की पानी की समस्या से निजात दिलाने हेतू “बाग बेड़ा वृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजना” को धरातल पर उतरने कि मांग को लेकर – आज पूर्व विधायक यह भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षंडगी के नेतृत्व में बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष आंदोलनकारी सुबोध झा पदाधिकारियों ने राज्यपाल महामहिम रमेश वैश से राजभवन में मुलाक़ात की।

प्रतिनिधिमंडल में जमशेदपुर महानगर के पूर्व भाजपा ज़िलाध्यक्ष दिनेश कुमार और ज़िप सदस्य सुदीप्तो दे राणा शामिल हुए।

सम्पूर्ण घाघीडीह विकास समिति और बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष व संरक्षक सुबोध झा व अध्यक्ष छोटूराम मुर्मू ने राज्यपाल को जानकारी दी कि योजना के लिये 237.21 करोड़ रुपयो की स्वीकृति पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार में हुई थी। 2015 में योजना का शिलान्यास भी किया गया और 2018 तक घर घर योजना से पानी पहुँचाने की बात थी।

लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आधा अधूरा काम करके विभाग और एजेन्सी द्वारा पिछ्ले 1 वर्ष से अधिक समय से काम को बन्द कर रखा गया है,योजना में कई गडबडी और घटिया निर्माण की वजह से योजना राशि का दुरुपयोग और बंदरबाँट हुआ है। सामान्य वर्ग से 450 रु o और एसटी/ एससी वर्ग से 225 रू वसुले जाने और योजना राशि करोड़ खर्च करने के बावजूद 5 वर्ष से लोगों को पेय जल जैसी मौलिक अधिकार से वांछित रखा गया है। लेट-लतीफ़ी से अरबो रुपयो की संपति नुकसान की राह पर है और पूरी योजना सफेद हाथी सावित हो रही है।
अब समिति के सैकड़ों सदस्य इस विषय पर अगले 21 मार्च को दिल्ली तक पैदल मार्च करेंगे संसद भावन का घेराव करेंगे व प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।

महामहिम ने कहा वे विभागीय सचिव को बुलाकर अद्यतन स्थिति की जानकारी लेंगे और जल्द ही योजना धरातल पर उतरे उस पर पहल करवाएँगे।

कुणाल षंडगी ने वित्तरहित विद्यालयों को अनुदान देने के मामले चाकुलिया प्रखंड के सरडिहा आदिवासी उच्च विद्यालय का नाम सूची में अब तक नहीं आना का मामला राज्यपाल महोदय के संज्ञान लाया। उन्होंने कहा कि समय पर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी स्कूल का नाम अब तक सूची में नाम नहीं आने के कारण विद्यालय के शिक्षकों को दो साल से अनुदान नहीं मिला है।

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