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प्रधान मंटू का कदम सराहनीय, जत्थेदार के हुक्म पर भी पहरा दे हम लोग

जमशेदपुर। बारीडीह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार जसपाल सिंह ने साकची के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह मंटू द्वारा भूल स्वीकार कर लिए जाने को सराहनीय कदम बताया है। उनके अनुसार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ऐतिहासिक गुरुद्वारों का देखभाल करती है और उसके द्वारा लिए गए निर्णय पंजाब हरियाणा जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड के गुरुद्वारों पर ही लागू होते हैं।
लेकिन पंथ के पांच महान तख्त के जत्थेदार यदि किसी प्रकार का निर्णय लेते हैं अथवा अपील करते हैं तो वह सभी सिखों के लिए मानना लाजमी हो जाता है। जत्थेदार का हुकुम निर्णय अपील पर हर सिख को पहरा देना होता है।
प्रधान सरदार मंटू ने तो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के एक फैसले को नहीं मानकर छोटी सी गलती की है जो माफ भी हो सकती है परंतु जो जत्थेदार सिंह साहिब द्वारा जारी हुकुम को नहीं मानते हैं, वे कौम के प्रति कितना बड़ा अपराध करते हैं। जो माफी योग्य भी नहीं है। सरदार हरविंदर सिंह मंटू ने सिख पंथ के प्रति अपनी जो भावना व्यक्त की है श्रद्धा दिखाया है वह प्रेरक है। एक तरह से हम सभी प्रबंधकों के लिए मिसाल है कि हम आगे से किसी प्रकार की छोटी सी भी गलती नहीं करें जिससे संगत की भावना आहत हो। माफी मांगने से कोई छोटा नहीं बल्कि बड़ा साबित होता है और इस संबंध में उन्होंने सीतारामडेरा गुरुद्वारा के ट्रस्टी साहब प्रकरण का भी हवाला दिया।
वही प्रधान साहब ने कहा कि जत्थेदार द्वारा बनाई गई पांच सदस्य समिति पंथ की सराहनीय सेवा कर रही है और हमें जत्थेदार के फैसले पर पहरा देना चाहिए।

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