JamshedpurNational

धनबाद का प्रदिप्तो अमेरिका में फिल्मों का निर्माण कर भारत का नाम कर रहे है रौशन

रांची। बॉस बेबी, हाऊ टू ट्रेन यौर ड्रैगण जैसे ऑस्कर नामित कुछ ऐसे एनिमेटेड फिल्में है जिनके बारे में झारखण्ड के लोगो ने सुना है और सराहया भी हैं, पर शायद ही लोगो को पता है कि इन सभी फिल्मों में धनबाद के एक शख्स का नाम जुड़ा है, वो है प्रदिप्तो सेनगुप्ता।

मेधा और रचनात्मक गुणों के धनी प्रदिप्तो ने अपनी शिक्षा डी पी एस धनबाद और रामकृष्ण मिशन पुरुलिया से पूरी की। फिल्मों और साहित्य में उनकी रुचि बचपन से ही थी और इसका श्रेय वो अपनी माँ को देते है। टैगोर,सत्यजीत रे और आर्थर कोनन डॉयल के साथ उनका रिश्ता काफी छोटी उम्र में हो गया था और इसी की वजह से फिल्मे बनाना उनका सपना था । पर एक अत्यन्त मध्यम वर्ग के परिवार से आने के कारण, जहा शिक्षा को प्रधान्य मिलता हैं, वहा उनका यह सपना साकार होना असंभव के बराबर का था.

जब उनसे पूछा गया की वह एनीमेशन फिल्मे क्यों बनाना पसंद करते हैं, तो उनका जवाब यह था। एनीमेशन एक बहुत ही कठिन फ़िल्म माध्यम हैं, परन्तु इसका आनन्द बूढ़े, बच्चे सभी उठाते हैं. इसकी कोई सीमा नहीं हैँ. साथ मे यह एक ऐसा माध्यम हैँ, जिसके सहारे हम जैसे छोटे शहर के बच्चों का फिल्मे बनाने का सपना साकार हो सकता हैँ ।

आज प्रदीपतो लॉस एंजेलस में रहते है और अमेरिका के ऑस्कर विजेता ड्रीमवर्क्स एनीमेशन स्टूडियो, जिन्होंने श्रेक, कुंगफु पांडा और मदगास्कर जैसी फिल्मे बनायीं है, उसका हिस्सा है. हालांकि उनका धनबाद से हॉलीवुड तक का सफर आसान नहीं था. कई कठिनाईया थी, जिनमे से सबसे बड़ी थी अपने परिवार को मनाना की वह परंपरागत पढ़ाई छोड़ कर फिल्मो मे काम करना चाहते हैँ. शुरुआती दौर में ना तो उनके पास चित्रकारी शिक्षा थी, ना ही कंप्यूटर. अपनी कॉलेज के गर्मियों की छुट्टियों के बीच, बड़ी मुश्किल से पैसे जोड़ कर वह धनबाद के उर्मिला टावर, बैंक मोर में एनीमेशन सिखने जाते और वहा क्लास के बाद घंटो पड़े रहते ताकि प्रैक्टिस कर सके . उनकी यही मेहनत काम आयी और उन्हें पुणे के एनीमेशन स्टूडियो में “लिटिल कृष्णा ” नामक एक टीवी सीरियल पे पहला काम करने का मौका मिला . अपने सपनो के उड़ान के बारे में उनका कहना हैँ *” जब मैंने शुरू किया था, मैंने कभी नहीं सोचा था की 2 ऑस्कर नमित और एक गोल्डन ग्लोब विजेता एनीमेशन फ़िल्म में मेरा योगदान रहेगा. मुझे तो बस बचपन से कार्टून फिल्मे बनाना था. इससे ज़्यादा ख़ुशी क्या हो सकती है की जैसे फिल्मो को देख में बड़ा हुआ, आज उनमे मेरा भी नाम रहता है।

एक अच्छे एनीमेशन फ़िल्म बनाने काफी समय और बजट लगता हैँ. साथ ही उम्दा आर्टिस्ट भी लगते हैँ. भारत जो विश्व भर में अपने फिल्मो के लिए जाना जाता हैँ, वह उस हिसाब से अपनी खुद की अच्छी एनिमेटेड फिल्में नहीं बनाता. उनका मानना हैँ की भारत में टैलेंटेड आर्टिस्टस की कमी नहीं हैँ. हालांकि, हमारा समाज उतना जागरूक नहीं हुआ है की इसे लोग एक पेशे के रूप में देखे। उनका खुद का कहना हैँ की।आज 14 साल और 10 प्रसिद्ध हॉलीवुड एनीमेशन फ़िल्म में काम करने के बाद भी, मुझे खुद अपने परिवार को समझाने में दिक्कत होती हैँ की यही मेरी सफल जीविका हैँ।

अभी हाल ही में दो फ़िल्म निकली है जिन पर उन्होंने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पहली विश ड्रैगन जो इस साल नेटफ्लिक्स की सबसे पॉपुलर एनीमेशन मूवी है और दूसरी बॉस बेबी 2 जो अमेरिका में थिएटर में रिलीज़ हुई है.

उनकी इस कहानी से प्रदिप्तो चाहते है की लोग प्रेरित हो, खास कर माता पिता और एनीमेशन के दुनिया में उड़ान भरने की चाह रखने वाले अपने बच्चों का सहारा बने।

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker