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झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में विराजमान कारो नदी पर विशेष

सिद्धार्थ पाण्डेय / जमशेदपुर

कारो नदी, झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में विराजमान है। यह नदी अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और यहां के प्राकृतिक दृश्यों का आदर्श स्थल है।
कारो नदी दक्षिणी कोयल नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी हे, और यह महानदी के नदी तंत्र का हिस्सा हे। जिसका उद्गम छोटानगपुर पठार जिला लोहरदग्गा से हुआ हे।इस के संगम तट पर कोयल -कारो परियोजना चलाई गयी थी परन्तु भारी जन विरोध के कारण इस परियोजना को 2003 में बंद कर दिया गया।कहते प्रत्येक सभ्यता का विकाश नदी के किनारे हुआ है।यही कारण हे के इसके किनारे कई सारे प्रमुख माइंस और प्लांट स्थित हे जैसे सेल, टाटा, रूंगटा, जिंदल इत्यादि।जो यहां के जनसाधारण को रोजगार के साथ विकाश करने में सहायता करते हे।
कारो नदी की सुंदरता उसके चारों ओर बसे प्राकृतिक मंदिरों, हरे-भरे पहाड़ों, और घने जंगलों से बढ़ती है। नदी के जल का रंग अत्यंत मनमोहक होता है, जिसमें नीले और हरे शीतल रंग के झरने दिखाई देते हैं। उसका पानी प्रशांतता और स्पष्टता की भावना पैदा करता है।

इसके तट पर बसे पेड़-पौधों और फूलों का संगम दृश्यावली को आकर्षक बनाता है। पर्यटक यहाँ आकर पेड़ों की छाया में बैठकर नदी की शांति का आनंद लेते हैं।

कारो नदी के जल की गति धीमी होती है, जिससे उसके किनारों पर चमकती हुई धूप खिल जाती है। यह अपने चारों ओर प्रकृति संपूर्णता और शांति का वातावरण सृजित करता है।

शायद ही कोई व्यक्ति हो, जो कारो नदी के किनारे खड़े होकर उसकी सुंदरता के आगे अद्भुत गहराई में नहीं डूब जाए। यह नदी एक आनंदमय और प्राकृतिक रंगीन पृथ्वी का स्वरूप है, जिसे देखने से हमारा मन प्रसन्न और हमारी आत्मा को आनंद मिलता है।
परंतु आज कारो नदी सूख रही है और इसके पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में
1)वर्षा की कमी और महासागरीय विकिरण के प्रभाव से जलस्रोतों की मात्रा कम हो जाना है।
2)जंगलों की कटाई,
3) वन आगंतुकों के अवैध घुसपैठ, और
4) क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन भी इसके एक कारण हैं।
इसके साथ ही, नदी के जल का अतिरिक्त उपयोग और जल प्रदूषण की वजह से भी नदी का पानी कम हो गया है। इसका परिणामस्वरूप पानी की आपूर्ति में कमी हो रही है और जीव-जंतुओं और प्राकृतिक जीवन के लिए यह स्थिति चिंताजनक हो गई है।
कारो नदी को सूखने से बचाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं।
1)पहले, जल संचय के लिए तालाब, बाँध, और झीलों का निर्माण करना चाहिए।
2)दूसरे, जल प्रदूषण को कम करने के लिए जलशोधन प्लांट और स्वच्छता अभियान अपनाने चाहिए।
3)तीसरे, वन संरक्षण के माध्यम से झाड़ियों की पैदावार और जीविका संकट से बचाव करना चाहिए।
4)चौथे, जल प्रबंधन के लिए अनुकूल खेती प्रथाएं अपनानी चाहिए जो पानी की खपत को कम करें। इन उपायों को अपनाने से नदी को सुरक्षित रखा जा सकता है और प्राकृतिक संतुलन को स्थायी रूप से सुरक्षित रखने में भी इससे मदद मिलेगी।
आम आदमी कारो नदी को बचाने में निम्नलिखित तरीकों से सहयोग कर सकते हैं:
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जल संरक्षण करें:
पानी की बचत के लिए अपने घर और सार्वजनिक स्थानों में सतर्कता बनाए रखें। लीक नलों को ठीक करें और जलस्थलों में प्रयोग की बरताव करें।
जल प्रदूषण कम करें: नदी में कचरे, तत्समर्पित पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को न डालें। यदि संभव हो, एक स्वच्छ जल संरक्षण अभियान में सहयोग करें।
पेड़-पौधे लगाएं: अपने पास के क्षेत्र में पेड़-पौधों की वृद्धि करें और वन संरक्षण के प्रोत्साहन के लिए जागरूकता फैलाएं।
स्वच्छता अभियान में योगदान करें: कारो नदी के आसपास के क्षेत्र में छोटे-छोटे अभियानों में हिस्सा लें और जनसाधारण को साफ सुथरा रखने की जागरूकता फैलाएं।नदी संरक्षण संगठनों का समर्थन करें: स्थानीय नदी संरक्षण संगठनों के साथ मिलकर कारो नदी के संरक्षण में योगदान करें और उनके कार्यक्रमों में सहयोग प्रदान करें।साथ ही, जनसाधारण को जल संरक्षण और नदी संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है।

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