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झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकारें आदिवासी विरोधी हैं : सालखन मुर्मू,

एजाज अहमद
जमशेदपुर। ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी दल क्रमशः बी जे डी, जे एम एम और टी एम सी आदिवासियों के साथ केवल वोट और नोट की राजनीति करते हैं। उनके सामाजिक और राजनीतिक उत्थान के लिए कुछ भी नहीं करते हैं। इसके दो प्रमाण हैं – (1) फिलहाल वोट की लोभ- लालच और स्वार्थ के लिए इन तीनों राज्यों में तीनों प्रमुख सत्ताधारी दल ने कुर्मी महतो जाति को आदिवासी बनाने का लालच दिखाया है। भारत सरकार को लिखित अनुशंसा भेजा है। यह असली आदिवासीयों (जैसे संताल मुंडा हो उरांव भूमिज खड़िया गोंड आदि) के लिए फांसी का फंदा है, जेनोसाइड या नरसंहार जैसा भयंकर एक कुकृत्य है। (2) इन पार्टियों ने आदिवासी समाज में व्याप्त नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, वोट को हँड़िया- दारु, चखना, रूपयों में खरीद बिक्री को रोकने और आदिवासी गांव समाज में जनतंत्र और संविधान के उल्लंघन पर सुधार के प्रयास नहीं किया है। उसी प्रकार सभी आदिवासी गांव- समाज में वंशानुगत चलायमान अधिकांश अनपढ़, पियक्कड़, संविधान- कानून से अनभिज्ञ आदिवासी ग्राम प्रधान कार्यरत हैं। जिसे शिक्षित समझदार लोगों द्वारा संचालित कराने में इनकी कोई रुचि नहीं है। अतः इन पार्टियों ने अबतक “ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम” में सुधार के कोई प्रयास नहीं कर आदिवासी समाज के साथ धोखा किया है।
उपरोक्त दोनों मामलों पर उपरोक्त तीनों राज्यों में तीनों प्रमुख दलों ने अब तक कुछ भी नहीं किया है। सिवाय आदिवासियों को लॉलीपॉप थमा कर वोट लेने के।

आदिवासी सेंगेल अभियान को भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है। नरेंद्र मोदी जी ने द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठा कर महान ऐतिहासिक संदेश दिया है कि वे भारत के आदिवासियों को सम्मान देते हुए न्याय और अधिकार देना चाहते हैं। इसलिए सेंगेल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और श्री नरेंद्र मोदी पर आशान्वित है।

श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के साथ 26 अगस्त 2022 को राष्ट्रपति भवन में मुलाकात किया। उसके पहले 18 अप्रैल 2022 को उनके रायरंगपुर निवास में मुलाकात किया। फिर 22 जून 2022 को राष्ट्रपति के उम्मीदवार घोषित होने के तुरंत बाद उनके रायरंगपुर निवास में मिले। आदिवासी समस्याओं और संभावित समाधान के रास्तों पर गहन विचार- विमर्श किया। उम्मीद है हम बहुत जल्द भारत के मान्य प्रधानमंत्री और मान्य गृह मंत्री से भी मिलेंगे और समाधान के रास्तों को पुख्ता करेंगे।

(आदिवासी सेंगेल अभियान भारत के झारखंड बंगाल बिहार उड़ीसा आसाम आदि प्रांतों में आदिवासियों के सामाजिक- राजनीतिक सशक्तिकरण का जोरदार अभियान चला रहा है। इसका प्रभाव सर्वत्र फैल रहा है। आशा है नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर हम आदिवासियों को न्याय और अधिकार दिलाने के साथ साथ देश की सेवा करने के दायित्व को सफल कर सकते हैं।

सेंगेल ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि सरना धर्म कोड की मान्यता संबंधी फैसला 20 नवंबर 2022 तक कर लिया जाए या सकारात्मक संकेत और वार्तालाप शुरू किया जाए। अन्यथा सेंगेल 5 प्रदेशों में 30 नवंबर 2022 को सुबह से शाम तक रेल-रोड चक्का जाम करने के लिए बाध्य हो सकता है। जबकि हम चक्का जाम के पक्षधर नहीं हैं। परंतु चुकी सरना धर्म कोड मान्यता का मामला संविधान के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 25) के तहत हमारी अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी से जुड़ा हुआ मामला है, हम आंदोलन को मजबूर हैं। आशा है भारत सरकार जल्द एक सकारात्मक फैसला करेगी।

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