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जाति-पाति, रंगभेद, नस्लवाद और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए इस जोड़ी का विवाह संपन्न

जमशेदपुर: आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से विप्लवी विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस वैवाहिक कार्यक्रम को वर पक्ष से आचार्य सिद्धिविद्यानंद अवधूत एवं वधू पक्ष से आनंद मार्ग की महिला पौरोहित्य अवधूतिका आनंद विष्णुमया आचार्या उपस्थित थी। हजारीबाग के शिवशंकर देव के सुपुत्री दीप्ति का विवाह जमशेदपुर के विपिन देव के सुपुत्र विनय बंदन से वैदिक मंत्र उच्चारण ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरंतु सिंधव: वैदिक मंत्र से विवाह संपन्न हुआ।वर एवं वधु पौरोहित्य के साथ 3 बार बारी-बारी से मंत्रों का उच्चारण किया। विवाह में उपस्थित लोग समाज को साक्षी मानते हुए परम ब्रह्म तथा मार्ग गुरुदेव के नाम पर शपथ ग्रहण कर कहे की हम इस विवाह के साक्षी हुए साथ ही साथ सभी लोगों ने एक स्वर में नव दंपति के सुखमय जीवन के लिए कामना की इसके बाद नवदंपत्ति एक दूसरे को माला पहनाकर माला का आदान-प्रदान तीन बार किया इस विवाह की विशेषता यह थी कि महिला पौरोहित्य के द्वारा इस वैवाहिक कार्यक्रम को संपन्न कराया गया। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए महिला पौरोहित्य ने कहा कि जाति-पाति, रंगभेद, नस्लवाद और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए इस जोड़ी अंतरजातीय विवाह क्रांतिकारी विवाह संपन्न हुआ। आनंद मार्ग पद्धति से विवाह होता है वह क्रांतिकारी (बिना तिलक दहेज का एवं जातिविहीन संप्रदाय विहीन विवाह) को आनंद मार्ग में प्राथमिकता दी जाती है। इस विवाह में वर एवं वधु दोनों के परिवार की सहमति अति आवश्यक है। दोनों परिवार वर वधु समान विचारधारा के हो तभी विवाह को सफल बनाया जाता है। आनंद मार्ग प्रचारक संघ की अवधूतिका आनंद विष्णुमाया आचार्या का कहना है कि महिला तो भौतिक स्तर पर स्वालंबी हो रही है परंतु उन्हें मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी विकसित होने का अवसर प्रदान करना होगा हम महिलाओं को केवल पौरोहित्य गिरी का अधिकार ही नहीं बल्कि महिलाओं द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम दाह संस्कार कर्म श्राद्ध कर्म करने का भी अधिकार समाज को देना होगा। आज तक समाज में पुरुष पौरोहित्य के द्वारा ही सारे धार्मिक कर्मकांड संस्कार कार्यक्रम संपन्न होता था आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया समाज में सभी को समान अधिकार है इससे किसी को वंचित करना घोर पाप है। महिला एवं पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं इनके समान अधिकार के बिना समाज का सर्वांगीण उत्थान संभव नहीं है ।महिला एवं पुरुष को आनंदमार्ग में समान अधिकार दिया गया है।

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