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जलील तो पूरे सिख समाज को शैलेंद्र व उनके साथियों ने किया;गुरुमुख सिंह मुखे

जमशेदपुर;धर्माांतरण मामले में चल रही राजनीति के बीच गुरुवार को सरदार शैलेंद्र सिंह व उनकी टीम का बयान आने के बाद सीजीपीसी प्रधान गुरमुख सिंह मुखे ने उन पर बड़ा आरोप लगाया है. मुखे ने कहा की कई ऐसे परिवार हैं जो सीजीपीसी के संपर्क में और चंगाई सभा में शामिल होते थे. उन्होंने अपनी गलती का एहसास किया है और सीजीपीसी के संपर्क में आकर गुरु घर से जुडऩे की बात कही है. शैलेंद्र पर कटाक्ष करते हुए मुखे ने कहा कि जलील तो पूरे सिख समाज को शैलेंद्र व उनके साथियों ने किया है. क्योंकि जब इनको पता चला कि सिख परिवार के लोग सभा में शामिल होते हैं तो टिनप्लेट में हंगामा नहीं कर उन्हें चिह्नित कर समाज में वापसी कराई जानी चाहिए थी. उन्हें समझाया जाना चाहिए था. सडक़ व थाने पर हंगामा करके समाज को बदनाम व जलील करने का काम तो शैलेंद्र ने किया है. उनका यह कहना कि तस्वीर से जलील नहीं करना चाहते हैं. टिनप्लेट में ऐसी हरकत करके समाज को ही जलील किया है. इससे समाज की बदनामी हुई है.
साथ ही कमलजीत कौर के बचाव में उतरे सिख नेताओं के संबंध में मुखे ने कहा कि यह तस्वीर एक से डेढ़ वर्ष पहले की है. जिसमें लगातार कमलजीत सभा में जाती रही है. फिर अभी क्यों इसकी सच्चाई बताई गई कि हमने भेजा था. मुखे ने कहा कि सीजीपीसी को एक वॉयस रिकार्डिंग भी प्राप्त हुई है जिसमें सरदार शैलेंद्र एक महिला को धमकाते हुए साइबर थाना जाने की बात कह रहे हैं. शैलेंद्र की कथनी व करणी में फर्क है. कमलजीत भी सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रही है कि गलती की है. क्योंकि वह सभा में क्यों जाती थी वह सबूत भी सीजीपीसी के पास है. जिस महिला के साथ फुल टेंपो करके जाती थी उसमें कमलजीत ने खुद कहा था कि वह किस चीज के लिए जाती थी. उस महिला ने भी बताया कि अपनी तकलीफ को लेकर जाती थी. शैलेंद्र के पास जवाब है तो बताएं. शैलेंद्र ने पहले कहा था कि महेंद्र सिंह ने भेजा था. अब रंगरेटा सभा के मंजीत का नाम ले रहे हैं. आखिर किसने भेजा था.यह साफ करें. कमलजीत कौर तो रंगरेटा सभा की सदस्य भी नहीं है. वह सेंट्रल सिख स्त्री सत्संसग सभा कीचेयरमैन है. सभा की प्रधान सुखजीत कौर ने भी कहा कि हमने कहीं नहीं भेजा. दूसरी ओर मुखे ने यह भी कहा कि कमलजीत अकेले क्यों गई. उन्हें जाना भी था तो पांच सदस्यीय टीम के साथ जाती. यह साबित होता है कि वह अपने लिए गई. इस तरह समाज को बदनाम करना उन्हें शोभा नहीं देता.

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