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छात्राओं पर पुलिस की बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज निंदनीय। सरकार का छात्र विरोधी चेहरा उजागर हुआ :हेमंत पाठक

धनबाद में बारहवीं की अनुतीर्ण छात्राओं पर पुलिस द्वारा की गयी लाठीचार्ज की आजसू कड़ी निंदा करती है। शांतिपूर्ण रुप से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे निहत्थे छात्राओं पर बर्बरतापूर्ण तरीके से हुई पुलिस कार्रवाई से वर्तमान सरकार की संकुचित मानसिकता और बेटियों के प्रति सरकार की सोच का पता चलता है। जनसमस्याओं का समाधान करना ही सरकार का मूल दायित्व होता है, लेकिन इसके विपरीत सरकार के कैबिनेट मंत्री की उपस्थिति में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के माध्यम से छात्र छात्राओं की आवाज़ को ही दबाना शुरु कर दिया है। कोरोना महामारी का असर हर कोई पर पड़ा है, चाहे वो छात्र हों ,व्यापारी हों, या कोई और। कोरोना से पूरा विश्व जूझ रहा है और हर कोई अपने स्तर से इस वैश्विक महामारी से उपजे संकट से निबटने में लगा हुआ है। ज्ञात हो कि इस वर्ष मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा भी कोविड के खतरे को ध्यान में रखते हुए रद्द की गई थी और बिना परीक्षा के सभी का मूल्यांकन पुराने परीक्षाओं में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर किया गया। अतः शिक्षा मंत्रालय/सरकार का यह दायित्व है कि जिन छात्रों को फेल किया गया, उनके मूल्यांकन का क्या आधार था, इसे सूचित करें। मगर हेमन्त सरकार अधिकार की लडाई लड़ने वालों की आवाज को लाठी के बल पर निरंतर दबा रही है।
आजसू मांग करती है कि इस घटना के लिए दोषी प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारियों पर करवाई हो और छात्र छात्राओं के साथ न्याय हो।

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