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सेवा से ही परम पद पाया जा सकता है : बूटा सिंह

गुरु को रहित प्यारी है सिख नहीं : बाज साकची गुरुद्वारा में महान कीर्तन दरबार शुरू

जमशेदपुर। साकची गुरुद्वारा साहिब में संस्था गुरुनानक सेवा दल एवं बीर खालसा सेवा दल के संयुक्त तत्वावधान में महान कीर्तन दरबार शुक्रवार की सुबह में श्री अखंड पाठ के भोग के उपरांत प्रारंभ हुआ।
इसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित बाणी, “सेवक को सेवा बन आई”गायन करने के साथ ही अमृतसर से आए भाई बूटा सिंह के जत्थे ने सिख पंथ में सेवा की महत्व को दर्शाया. उन्होंने कई साखियों का वर्णन कर बताया कि सेवा के माध्यम से ही भक्तों एवं गुरु परमेश्वर को प्रसन्न कर परमपद पाया जा सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने,” घर बाहरि तेरा भरवासा”, “सुणी सुणी जीवा तेरी बाणी”, “हम निर्गुण तूं दाता”, शब्द का कीर्तन गायन किया.
इतिहासकार भूपेंद्र सिंह बाज ने सिख पंथ की मूल भावना, “नाम जपो कृत करो वंड छक्कों”, के साथ ही छह सिद्धांत अर्थात रहित मर्यादा पर प्रकाश डाला. उन्होंने जोर दिया कि अब तक जो हुआ परंतु आने वाले हर पल में सिखों को सुबह में स्नान ध्यान कर पांच वाणी रहरास का पाठ ही नहीं करना है वरन गुरु ग्रंथ साहिब जी के हर शब्द को आत्मसात करना है। तभी आप लोग मोह अहंकार भटकाव से बचेंगे और सेवा प्रेम त्याग तपस्या बलिदान के साथ खुद को जोड़ पाएंगे।
झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार शैलेन्द्र सिंह, झारखंड सिख विकास मंच के अध्यक्ष गुरदीप सिंह पप्पू, सहित कई गुरुद्वारों कमेटियों के प्रधान, इलाकों की संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहब के समक्ष मत्था टेका और बड़े ही श्रद्धा के साथ लंगर ग्रहण किया।
प्रधान हरविंदर सिंह मंटू, प्रधान हरवीर सिंह भाटिया, चरणजीत सिंह, श्याम सिंह भाटिया, तरलोचन सिंह पप्पी बाबा, तरविंदर सिंह पोली पाजी, प्रितपाल सिंह, व अन्य ने आयोजन में सक्रिय भूमिका अदा की।

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