भारत कला साहित्य संस्थान की ओर से शिक्षक दिवस पर ऑन लाइन मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन
गाज़ियाबाद। रविवार को भारत कला साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान, गाज़ियाबाद का ऑन लाइन मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया। इसी अवसर पर काव्य गरिमा –कविता संग्रह कमलेश संजीदा द्वारा रचित का विमोचन एवं समीक्षा भी की गई। यह संग्रह amezon पर भी उपलब्ध है। मुशायरा एवं कवि सम्मेलन लगभग 3 घंटे तक चला। जिसमें 13 शायरों व गीतकारों ने भाग लिया। ऑन लाइन मुशायरा एवं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता – डॉo सुशील सागर, सिद्धार्थ नगर ने की।
भारत कला साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापक प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा ने अतिथियों के स्वागत के पश्चात मंच पर आ o सुप्रिया सिंह वीणा को बुलाया। कार्यक्रम का आगाज़ सरस्वती वंदना से हुआ। तथा नाते पाक के लिए मंच पर आo रईस सिद्दीकी बहराइची (उoप्रo) को मंच पर बुलाया गया। दोनों ने ही बेहतरीन तरन्नुम और मधुर आवाज़ में सरस्वती वंदना एवं नाते पाक से मुशायरे एवं कवि सम्मेलन का आगाज़ किया। इसके बाद कार्यक्रम का संचालन एवं निज़ामत के लिए प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा ने प्रवक्ता रचना निर्मल, राष्ट्रीय सचिव को मंच पर बुलाया। इसके बाद एक बाद एक शामिल सभी शायर एवं शायराओं ने अपनी-अपनी उपस्थिति बेहतरीन रचनाओं के माध्यम से दर्ज़ कराई। यहाँ उन सभी विशिष्ट साहित्यकारों का उल्लेख उनकी पंक्तियों के साथ करना समीचीन जान पड़ता है– जिन्होंने मुशायरे एवं कवि सम्मेलन को बहुत बेहतरीन बना दिया l कुछ शायरों एवं शायराओं की चुनिंदा पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-
राधा बन जा मीरा बन जा तुलसी सूर कबीरा बन जा
मन मोहन हैं दिल में तेरे जग में मन भरमाता क्यूँ है।
-डॉ0 सुशील श्रीवास्तव “सागर” सिद्धार्थनगर , उ0प्र0
कविता -उसने जीवन संवारा था
तिल-तिल कर जिसने, मेरा भविष्य संवारा था।
पथ के हर कंकड़ पर, करता वो तो इशारा था।
– प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा राष्ट्रीय अध्यक्ष , गाज़ियाबाद
सर्द रातों की कहानी बड़ी पुरानी है।
पास मेरे ये निशानी बड़ी पुरानी है।
बचपन में सुनी थी परियों की कहानी
कभी सुनाती थी दादी और कभी थी नानी
-बी एल बत्रा ‘अमित्र’, गाज़ियाबाद
कहते हैं ज्ञान का अनमोल ख़ज़ाना है गुरु, इसलिए ईश ने धरती प उतारा है गुरु
दे के पहचान हमें अच्छी बुरी बातों की, सच की राहों पे हमें चलना सिखाता है गुरु।
-प्रवक्ता रचना निर्मल राष्ट्रीय सचिव , दिल्ली
दोस्त ये वादा कर ये बात न जाये
मोबाईल किसी के हाथ ना आये
-बाबू बमचकरी बीकानेर राजस्थान
शिक्षा के महान मनीषी ने, शिक्षा के मर्म को समझा
साधना एवं संस्कार की बदौलत,शिक्षण पेशा को अपनाया ।
–अखिलेश ठाकुर,समस्तीपुर , बिहार।
तमाम ज़ख्म सजाऊंगा जलवा खाने में
ग़ज़ल को आज उतारूंगा मैं फ़साने में
–इक़बाल अकरम वारसी लखीमपुर खीरी, उ.प्र.
जो मेरे लब पे हक बयानी है
ये तो रब ही की मेहरबानी है।
–सुप्रिया सिंह वीणा,गाज़ियाबाद, उ.प्र.
अनकही दास्तान है शिक्षक, हौसलों की उड़ान है शिक्षक
जड़ को चेतन में बदलने का हुनर, जनता है, महान है शिक्षक।
–रामदेव शर्मा “राही”,छाता,मथुरा, उ.प्र.
अफ़ग़ान से ग़रज़ न ग़रज़ तालिबान से
रिश्ता फ़क़त हमारा है हिन्दुस्तान से ख़ुश हो के मैंने गोद में उसको उठा लिया
पोती ने दादा जान कहा जब ज़बान से
–रईस सिद्दीकी बहराइची, उ.प्र.
मेरे गीतों में यही अनुताप है
धुंए की वह छोर क्यों अज्ञात है
-डॉo मनोज मोक्षेन्द्र उ.प्र.
देखते हैं रोज ही हम रोशनी की साज़िशें।चाँद को छलती हुईं ये चाँदनी की साज़िशें ।वंदना कुँवर रायजादा, गाज़ियाबाद।
इस अवसर पर बम्पर बहराइची जी जो हास्य के शायर हैं उन्होंने समां बाँध दिया। बहुत सारे श्रोताओं तथा दशकों ने रचनाओं को दिल से सुनकर सराहा और शायर एवं शयराओं को बधाई दी। और मुशायरे एवं कविसम्मेलन का जी भर कर आनंद लिया।श्रोताओं तथा दशकों ने सभी के कलाम पर दिल से दाद दी। कार्यक्रम की सदारत फ़रमा रहे, डॉo सुशील सागर ने कहा की सभी शायर एवं शायराओं ने जो भी कलाम प्रस्तुत किए, वो सभी बेहतरीन रहे। उन्होंने शायर एवं शायराओं द्वारा सुनाए गए कलामों की बहुत बेहतरीन अंदाज़ में समीक्षा प्रस्तुत की। सच में सुनकर आनंद आ गया, और उन्होंने भारत कला,साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान, गाज़ियाबाद को सफल आयोजन की एवं बेहतरीन निज़ामत के लिए प्रवक्ता रचना निर्मल को भी मुबारकबाद दी। रामदेव शर्मा राही ने प्रोo कमलेश संजीदा की सोच और मेहनत की सराहना की तथा हर कदम पर साथ चलने का भरोसा दिया। डॉo मनोज मोक्षेन्द्र ने कहा, कि मैं इस मंच स जुड़कर धन्य हो गया, बहुत बेहतरीन मुशायरा रहा । जिसमें एक से बढ़कर एक रचनाएँ आईं । रईस सिद्धिकी बहराइची जी ने एक ही मंच पर एक साथ कला, साहित्य, व संस्कृति को साथ लाने के लिए कमलेश संजीदा जी एवं रचना निर्मल जी के इस कदम की सराहना की। प्रवक्ता रचना निर्मल जी राष्ट्रीय सचिव ने मुशायरे की शानदार सफलता की बधाई दी, और संस्थान के उज्जवल भविष्य की कामना की। सभी शायर एवं शायराओं ने कमलेश संजीदा के पाँचवे काव्य कविता संग्रह गरिमा की अपने- अपने तरीके से समीक्षा भी प्रस्तुत की , और कहा उनकी रचनाओं ने समाज के विभिन्न पहलुओं से अवगत एवं पर्दे भी उजागर किए हैं।
अंत मे भारत कला, साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान, गाज़ियाबाद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापक प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा जी ने सभी को कीमती वक़्त देने के लिए धन्यवाद देते हुए सफल मुशायरे का श्रेय शायर एवं शायराओं की उपस्थिति एवं उम्दा कलाम रखने वालों को दिया तथा निज़ामत के बेहतरीन अंदाज के लिए प्रवक्ता रचना निर्मल जी को बधाई दी एवं सभी को डिजीटल प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किये गए। साथ ही यह भी कहा कि इस संस्थान की स्थापना का एकमात्र उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में छिपी प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना है, उनके उज्वल भविष्य को संवारना है।