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प्राकृतिक फूलों के रंगों से आंखें एवं सेहत सुरक्षित : डॉ मनोज


तिलक कुमार वर्मा
चाईबासा। रंग व गुलाल के बिना होली का त्यौहार अधूरा है। होली खेल के दौरान उचित एवं सही रंग का चुनाव करना आवश्यक होता है। मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर रंग व गुलाल केमिकल बेस्ट कलर्स से शरीर के त्वचा और सेहत के साथ-साथ एलर्जी की शिकायत की आशंका बनी रहती है। होली के रंगों से त्वचा, आंखों और शरीर में एलर्जी, जलन और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती है। होली के रंग से कान के अलावे बालों को भी नुकसान पहुंचता है। फागुन माह में विविध प्रकार के पेड़ों के फूल होते हैं, जिसमें कुछ फूलों की मदद से होली खेलने के लिए नेचुरल रंग बनाई जा सकती है। मुख्य रूप से पलाश के फूल, गेंदे के फूल, गुड़हल के फूल, गुलदाउदी के फूल, गुलाब के फूल के अलावे अपराजिता के फूल हैं जिससे नीला गुलाल बनता है। फागुन माह में पलाश के फूल प्रत्येक गांव में आसानी से मिलते हैं, जिससे नेचुरल रंग तैयार किया जा सकता है और व्यक्ति को इससे कोई नुकसान नहीं होता है।

प्राकृतिक रंग व गुलाल से निम्नलिखित फायदे होते हैं:-
प्राकृतिक रंग से एलर्जी से पीड़ित व्यक्तियों को कोई नुकसान नहीं होता है।आंखों या मुंह में रंग चले जाने से भी कोई खतरा नहीं होता है। प्राकृतिक रंग नाक कान गले के लिए किसी प्रकार का कोई नुकसानदायक नहीं है। होली के रंग व गुलाल से निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं। होली के रंग से स्किन एलर्जी, ड्राइनेस और शरीर में खुजली की समस्या पैदा हो सकती है। होली खेलते समय आंखों में रंग चले जाने से आंखें लाल होना, आंखों से पानी गिरना के अलावे संक्रमण का खतरा बना रहता है। संक्रमण ज्यादा और समय पर उपचार नहीं होने पर कॉर्नियल ऑपेसिटी भी हो सकती है। अस्थमा या सांस के मरीजों के लिए यह काफी नुकसानदायक साबित होता है।

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