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पोटका विधानसभा के परसुडीह मस्जिद रोड मैं पानी के बूंद बूंद के लिए तरस रहे हैं लोग

जमशेदपुर । आसपास के इलाकों में प्रचंड गर्मी पड़ रही है। गैर कंपनी इलाकों के लोग बूंद- बूंद पानी को तरस रहे हैं। सरकारी दावे कागजों पर धरे के धरे रह गए हैं। सरकारी योजनाएं पूरी तरह से फेल हो चुकी है। जनप्रतिनिधि लोकसभा चुनाव में व्यस्त हैं और सरकारी महकमा चुनाव प्रतिशत बढ़ाने में पसीना बहा रही है। यहां बात कर रहे हैं पोटका विधानसभा अंतर्गत परसुडीह के किताडीह मस्जिद रोड की। यहां पानी की भारी किल्लत है। बड़ी आबादी को हर दिन पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। डीएमएफटी मद से करीब 6 लख रुपए की लागत से एक जल मीनार का निर्माण कराया गया था मगर वह जल मीनार अब शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। विधायक संजीव सरदार ने बड़े तामझाम से इस जल मीनार का उद्घाटन किया था। उन्होंने दावा किया था कि अब क्षेत्र के लोगों को पानी की कोई समस्या नहीं होगी, मगर एक साल बीतते- बीतते जल मीनार ने दम तोड़ दिया है। उद्घाटन होने के कुछ दिनों के बाद से ही समस्याओं का सिलसिला शुरू हो गया। आए दिन इस जलमीनार में कुछ ना कुछ समस्या देखने को मिलती है। विधायक संजीव सरदार आम जनता की समस्याओं और विकास के बजाय वह अपने खुद के विकास में लगे हुए हैं। जनता की समस्याओं का समाधान करने के बजाय अधिकतर विकास कार्य करने वाले ठेकेदारों में दिलचस्पी रखते हैं। इसका खामियाजा उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है ऐसा आम जनता का कहना है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि मोटर जलने से जलमीनार पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ था। स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर सरकारी बाबुओं तक गुहार लगाई मगर किसी ने सुध नहीं ली। आपस में चंदा इकट्ठा कर किसी तरह मोटर मरम्मत कराया है मगर इतनी बड़ी आबादी के लिए यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। यदि पानी की समस्या दूर नहीं हुई तो आगामी लोकसभा चुनाव में इसका बदला लेंगे। हम उसी जनप्रतिनिधि का चयन करेंगे जो हमारे लिए पानी की मुकम्मल व्यवस्था करेगा। वैसे चुनाव में यह मुद्दा कितना हावी रहेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, क्योंकि हाल के दिनों में हुए चुनाव में मुद्दों की बात नहीं होती है। सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की बात नहीं होती है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या वाकई क्षेत्र की जनता पानी की समस्या को लेकर आगामी चुनाव में कोई बड़ा कदम उठाते हैं या हर चुनाव की तरह जनता अपने दुख- तकलीफ को भूल जनप्रतिनिधि से सवाल करने के बजाय उनके जुमले पर भरोसा करेंग।

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