दर्पण हम सबों के जीवन का प्रमुख हिस्सा है : राजेश पाठक
जमशेदपुर। दर्पण हम सबों के जीवन का प्रमुख हिस्सा है। वगैर दर्पण को निहारे लोग घर से बाहर निकलते ही नहीं है। ऐसी स्थिति में अज्ञानता वश दर्पण को अगर सही दिशा में नहीं रखा गया तो उसका दुष्परिणाम भी झेलना पड़ता है। इसलिए इस लेख के माध्यम से आप सबों को दर्पण रखने का सही दिशा बताया जा रहा है। इसका लाभ उठाये और जीवन को सुखमय बनाएं।
दर्पण भी हो सकता है समस्याओं का कारण..
दर्पण का प्रयोग मनुष्य सदा से करता आ रहा है। महाभारत की शुरुआत भी दुर्योधन के दर्पण से टकराने के कारण ही हुई, क्योंकि दर्पण जहां लगाया जाता है, वहां की ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करता है। यह हमें शारीरिक, मानसिक कष्ट देकर अलगाव व झगड़े का कारण भी बन सकता है। आइए अब दर्पण के लगाने से होने वाले प्रभावों को जानने की चेष्ठा करते हैं। उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व दिशा की दीवार पर लगा दर्पण आर्थिक उन्नति एवं प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होता है।
दक्षिण दिशा की दीवार पर लगा दर्पण बीमारी;
दक्षिण-पूर्व में लगा दर्पण वैचारिक मतभेद, तर्क-वितर्क, संबंधों के अलगाव, गुस्सा; पश्चिम में लगा दर्पण अनावश्यक आराम, काम पर न जाना या खाली बैठना; उत्तर-पश्चिम में लगा दर्पण अपनों से दुश्मनी, मुकदमेबाजी, युवा महिला सदस्य दुःखी एवं दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगा दर्पण घर के मुखिया को घर से बाहर रहने व अनावश्यक एवं आकस्मिक खर्चों का कारण बनता है।
रात को सोते समय पलंग पर अगर दर्पण दिखाई दे तो गृह-स्वामी के वैवाहिक जीवन के लिए अति घातक सिद्ध होता है। यह उन पलंगों पर सोने वाले लोगों के बीच अनबन व मतभेद करके जीवन को कड़वाहट से भर देता है। अगर रात को शयन-कक्ष में सोते समय दर्पण में आपका सिर दिखाई देता हो तो मानसिक तनाव, छाती दिखाई देती हो तो छाती से संबंधित रोग एवं अगर पैर दिखाई देते हों तो पैरों में दर्द यानी सोते समय शरीर का जो भी भाग दर्पण में दिखाई देगा, उसी में शारीरिक कष्ट उत्पन्न हो जाएगा। यह स्थिति और भी खराब हो जाती है जब आप अपनी दुर्भाग्यशाली दिशा के कमरे में, द्वार वाले कमरे में या उस ओर सिर करके सोते हैं।
घर के मुख्य द्वार में घुसते ही सामने लगा बड़ा आईना जो पूर्ण द्वार के बराबर हो उस घर में सकारात्मक ऊर्जा घुसते ही वापिस परिवर्तित कर देता है जिसके कारण घर में अभाव दुख, कष्ट एवं क्लेश व्याप्त रहते हैं। ऐसे घरों में प्रायः लोगों को घर से बाहर, यात्रा में ही रहकर अपने कामकाज करने पड़ते हैं जिसके कारण यह लोग घर में टिक नहीं पाते। यदि नक्षत्र भी प्रतिकूल स्थान पर वास करता हो तो उस वर्ष में विशेष तौर पर पारिवारिक कलह बढ़कर परिवार बिखर जाता है। दर्पण अगर गलत दिशा में लगा हो तो उसका वहां से हटाना ही सर्वोत्तम उपाय है।
अगर दर्पण न हटाया जा सकता हो तो उसके चारों कोनों पर एवं मध्य में एक ऊर्जायुक्त पिरामिड लगाकर नकारात्मक ऊर्जा को वहीं रोकने का प्रयास किया जा सकता है। दर्पण अगर सही दिशा में लगा है, परंतु रात को सोते समय पलंग या शरीर दिखाई देता हो तो इसको मोटे कपड़े से ढककर सोने से मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से असीम आराम मिलेगा। शयन-कक्ष के अलावा सही दिशा में लगे आईनों के दोनों तरफ एक-एक पौधा रखने से सकारात्मक ऊर्जा दुगुनी प्रभावशाली होकर घर को सुख, समृद्धि, शांति एवं स्वास्थ्यप्रद किरणों से भरने में अति सहायक होगी।
दर्पण टूटा, भाग्य फूटा’ अतः
दर्पण टूटते ही उसे तुरंत घर से हटाकर नये दर्पण का प्रयोग करें। धुंधले एवं दूषित दर्पण जीवन की खुशियों को धुंधला बना सकते हैं अतः अच्छे दर्पणों का प्रयोग ही जीवन में सुख-शांति हेतु प्रयोग करना चाहिए।
बाकी आपकी मर्जी।
प्रस्तुत – ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश पाठक
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