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झारखंड कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है,सांसद गीता कोड़ा का विकल्प तलाश रही है आलाकमान

लोकसभा चुनाव से पहले अंदर ही अंदर चल रही किचकिच, आलाकमान को सौंपी गई रिपोर्ट कार्ड

संतोष वर्मा

चाईबासा।लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड कांग्रेस में ऑल इज नॉट गुड की स्थिति है. चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे बगावत के सुर भी उठने लगे हैं. ऐसा लगता है कि अंदर ही अंदर भीषण लड़ाई चल रही है. कहा जा रहा है कि जब से गीता कोड़ा ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है तभी से पार्टी में आक्रोश देखा जा रहा है. पार्टी को डर सताने लगा है कि कहीं कोई और नेता किसी दूसरे पार्टी में शामिल होकर पाला न बदल ले . मीडिया से जो जानकारी मिल रही है ये वो है कि पार्टी के नेता प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से नाराज चल रहे हैं. पार्टी के बड़े नेता अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. उनकी बातों को सुना नहीं जा रहा है. बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के रवैये से नेता और कार्यकर्ता नाराज हैं. अगर नाराजगी ऐसे ही रही तो आनेवाले चुनाव में पार्टी के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

आलाकमान से की राजेश ठाकुर की शिकायत !

अभी हाल ही में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, जलेश्वर महतो और शहजादा अनवर ने कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात की. जिसमें सांगठनिक मुद्दों पर विचार किया गया. लेकिन जो जानकारी छन कर सामने आ रही है वो ये है कि कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर से प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के कामकाज और रवैये की शिकायत और कमियां बताई गई. दोनों ही नेताओं के सामने अपनी बांते रखते हुए संगठन के हालात पर भी चर्चा की गई. तकरीबन तीन घंटे तक कई मसलों पर बातचीत और संगठन को मजबूत करने पर विचार विमर्श हुआ.

खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं नेता

प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों ने ने राजेश ठाकुर के रवैये से कांग्रेस के बड़े नेता और कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. जिसके चलते पार्टी में सामूहिक निर्णय नहीं हो रहा है. दरअसल, बिना किसी से बात किये कोई एक व्यक्ति फैसला ले, ये पार्टी के लिए अच्छा नहीं है. तोहमते तो ये भी लगायी गई कि प्रदेश अध्यक्ष कार्यकारी अध्यक्षों को साथ लेकर नहीं , जिसके चलते संगठन बिखरकर कमजोर होता जा रहा है. इस हालात मे साथ-साथ चलाना आगे मुश्किल भरा भी हो सकता है.

गीता कोड़ा के विकल्प की तलाश में कांग्रेस

अब जब गीता कोड़ा कांग्रेस में नहीं है तो पार्टी डैमेज कंट्रोल पर चर्चा करना शुरू कर दी है. प्रदेश प्रभारी ने साफ तौर पर कहा कि संगठन में किसी के जाने से बहुत घबराने की जरूरत नहीं है. कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बना रहे इस पर काम करना है. पार्टी कोल्हान में मजबूत विकल्प तलाश कर रही है. जहां व्यावहारिक गठबंधन होगा. कोल्हान में कोई भी उम्मीदवार हो, उसके पूरी ताकत से जुटना है. ये बात सही है कि कद्दावर नेत्री गीता कोड़ा के बीजेपी में जाने से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है. जहां उनका विकल्प और कोल्हान में चेहरा तलाशना एक चुनौती सरीखा बन गया है. .

केसी वेणुगोपाल ने दिया ये निर्देश

इधर, महासचिव केसी वेणुगोपाल ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि झारखंड में पैदा हुए जटिल राजनीतिक चुनौतियों का सामने करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आगामी लोकसभा चुनाव में सभी इंडिया गठबंधन मजबूत स्थिति में हो. इसके लिए सभी कांग्रेस पदाधिकारी, विशेष रूप से झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सभी14 सीट पर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के सभी प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत कर जीत सुनिश्चित करें.

विभाजनकारी शक्तियों से मुकाबला के लिए हैं तैयार : बंधु तिर्की

इस मुलाकात के बाद प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने भी आगामी लोकसभा चुनाव क लिए कमर कस ली है, उन्होंने विरोधियों पर तेवर अपनाते हुए बोला कि चुनाव में विभाजनकारी शक्तियों का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है. उनका साफ कहना था कि महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिले निर्देश के अनुरूप पार्टी रणनीति के तहत काम करेगी. साथ ही जमीन स्तर पर लागू करने की पुरजोर कोशिश की जााएगी. गौरतलब है कि चंपई सोरेन सरकार में मंत्री परिषद में नये चेहरे को जगह नहीं मिलने से 12 विधायक पार्टी के अंदर ही बगावत का बिगुल फूंक दिया था. अब गीता कोड़ा के कांग्रेस से हटने के बाद पार्टी में एक बैचेनी , हड़बड़ाहत , असंतोष और नाराजगी पसरी हुई है. पार्टी के भीतर असंतोष की ये ज्वाला कब भड़क जाए ये कोई नहीं जानता . लेकिए सियासी गलियारों में झारखंड क्रांगेस के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है औऱ न ही संगठन अपने नेताओं को लोकसभा चुनाव के इस महत्वपूर्ण वक्त में एक कर पा रहा है. रूखसत होने के बाद गीता कोड़ा ने जो आरोप कांग्रेस पर लगाए, इससे भी पार्टी की फजीहत हो रही है और संगठन सही से काम नहीं कर रहा. इसे लेकर चर्चा राजनीतिक गलियरों के साथ आम आवाम में भी जोरो से है. देखना यही है कि झारखंड कांग्रेस अंदर में चल रही इस बगावत की आग पर किस तरह पानी कांग्रेस डालती है.

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